मेरा सुख तो———– !!!
मुझसे कई गुना कमाते हैं, लोग जमाने में।
मुझे आनंद मिलता है, मेरे रूखे सूखे खाने में।
मखमल के बिछोने पर भी ,नींद नहीं आती किसी को।
सुकून मिल जाता मुझे तो, फटी चटाई पर सो जाने में।।
बाहरी सुखो को नहीं खोजा ,कभी मैंने यारों।
मेरा सुख तो छुपा है, दिल के तहखाने में।।
अपनी दुनिया में मस्त रहता, दुख चाहे कितने ही सहता।
न मिले किसी को दुख, मुझे दुख मिलता उसके दुख पाने में।।
अनुनय दिल साफ है ,सच्चा यही इंसाफ है।
न हो कहीं ना इंसाफी, हे ईश्वर तेरे इस जमाने में।।
राजेश व्यास अनुनय