Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jun 2021 · 1 min read

मेरा भी कुछ हिसाब बाकी

मेरा भी कुछ हिसाब बाकी
सूखे शब्दों के मत भेदों ,
कुछ -कुछ नरम गरम ,
भूली – बिखरी कर्म ,
उलझी – सुलझी धर्म ।

श्वास कम उम्र ज्यादा,
रात कम ख्वाब ज्यादा,
खुशी कम गम ज्यादा,
इश्क कम जीद ज्यादा ।

माप -तोल तो हुआ नहीं,
हिसाब तो रखा भी नहीं,
किसका जायदा किसका कम,
बाकी कुछ हिसाब अभी ।

अब तो भाग्य पर छोडी,
कर्म खराब तो किया नहीं,
धर्म अपना भी छोडी नहीं,
पाप पूर्ण का हिसाब रखी नहीं ।

वापसी आ कर देख लो,
लाभ नुकसान का खाता,
लाभ आप ही रख लेना,
नुकसान मुझे दे देना।

जो बोलिएगा मान लुंगी,
मिल बैठ कर गलतफहमी दूर होगी,
तनहाई की हिसाब अभी बाकी रहेगी
इसी बहाने एक बार देख लूंगी ।

बेबेसी की कहानी सुना पाऊंगी,
खुशियां कितनी किमती बता पाऊंगी,
घाव अभी भरे नहीं दिखा पाऊंगी,
बस एक बार लौट के आ जाइए।
मेरा भी कुछ हिसाब बाकी ।।

गौतम साव

Language: Hindi
4 Likes · 6 Comments · 320 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from goutam shaw
View all
You may also like:
"तिकड़मी दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
*चलो टहलने चलें पार्क में, घर से सब नर-नारी【गीत】*
*चलो टहलने चलें पार्क में, घर से सब नर-नारी【गीत】*
Ravi Prakash
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
ओनिका सेतिया 'अनु '
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
Shekhar Chandra Mitra
Tum khas ho itne yar ye  khabar nhi thi,
Tum khas ho itne yar ye khabar nhi thi,
Sakshi Tripathi
💐अज्ञात के प्रति-124💐
💐अज्ञात के प्रति-124💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
गाँव का दृश्य (गीत)
गाँव का दृश्य (गीत)
प्रीतम श्रावस्तवी
3107.*पूर्णिका*
3107.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ज्यों ही धरती हो जाती है माता
ज्यों ही धरती हो जाती है माता
ruby kumari
ग़र कुंदन जैसी चमक चाहते हो पाना,
ग़र कुंदन जैसी चमक चाहते हो पाना,
SURYA PRAKASH SHARMA
दोस्ती
दोस्ती
Monika Verma
शब्द यदि हर अर्थ का, पर्याय होता जायेगा
शब्द यदि हर अर्थ का, पर्याय होता जायेगा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हिसका (छोटी कहानी) / मुसाफ़िर बैठा
हिसका (छोटी कहानी) / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
दिल के जख्म
दिल के जख्म
Gurdeep Saggu
वैसे थका हुआ खुद है इंसान
वैसे थका हुआ खुद है इंसान
शेखर सिंह
आज खुश हे तु इतना, तेरी खुशियों में
आज खुश हे तु इतना, तेरी खुशियों में
Swami Ganganiya
निगाहें के खेल में
निगाहें के खेल में
Surinder blackpen
स्वातंत्र्य का अमृत महोत्सव
स्वातंत्र्य का अमृत महोत्सव
surenderpal vaidya
नवसंवत्सर 2080 कि ज्योतिषीय विवेचना
नवसंवत्सर 2080 कि ज्योतिषीय विवेचना
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (3)
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (3)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दो खग उड़े गगन में , प्रेम करते होंगे क्या ?
दो खग उड़े गगन में , प्रेम करते होंगे क्या ?
The_dk_poetry
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
यदि आप अपनी असफलता से संतुष्ट हैं
यदि आप अपनी असफलता से संतुष्ट हैं
Paras Nath Jha
बेरुखी इख्तियार करते हो
बेरुखी इख्तियार करते हो
shabina. Naaz
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
Shweta Soni
पुलवामा वीरों को नमन
पुलवामा वीरों को नमन
Satish Srijan
मेरी जिंदगी सजा दे
मेरी जिंदगी सजा दे
Basant Bhagawan Roy
■ एक ही सवाल ■
■ एक ही सवाल ■
*Author प्रणय प्रभात*
सफर में महोब्बत
सफर में महोब्बत
Anil chobisa
अपने क़द से
अपने क़द से
Dr fauzia Naseem shad
Loading...