मेरा प्रेम ऐसा है
वहर:- मुतकारीब मुसम्म़न सालिम़
अरकान:- फ़ऊलुन
मेरा प्रेम ऐसा है जीवन में तुमको।
हो रुसवा कभी ऐसा मौका न दूँगा।।
करूँगा सदा तेरी दिल में ही पूजा।
सदा खुश रहे तूं दुआ मैं करूँगा।।
रहूँगा सदा तेरी परछाई बनकर।
अंधेरों में भी तेरे सँग सँग रहूंगा।।
न एहसास होगा मेरी चाहतों का।
तू विश्वास कर मुझपे धोख़ा न दूँगा।।
करूँगा दुआ दिल से तेरे लिए ही।
जहाँ भी रहोगी मैं ख़ुश ही रहूँगा।।
रहोगी सऩम की बाहों में अपने।
ख़्यालों को तेरे छुपा कर रखूँगा।।
. ✍?अरविंद राजपूत ‘कल्प’