मेरा परिवार
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संस्कार और संस्कृति को दिल मे लिए चलती हूँ
उस दौर में भी खुल के हसती थी अब भी हसती हूँ।
अपनी युवा पीढ़ी को भी बस बताना चाहती हूँ
परिवार के विश्वास का एक दीप जलाना चाहती हूँ।
ईश्वर ने जो परिवार दिया उन संग खुशी से जीती हूँ
ये रिश्ते हमारी जागीर हैं बस ये बताना चाहती हूँ।
परिवार संग खुशहाल रहो बस ये बोलना चाहती हूँ
रिश्तों में दरार न हो आज के बच्चों से ये चाहती हूँ।
इज्जत बड़ो को दोगे तो कभी नजरे न चुराओगे
अपनो के न हुए तो किसी ओर के हो पाओगे।
सब कुछ मिल जाएगा जो भी जीवन मे चाहोगे
बड़ो की छत्र छाया में अपने को महफूज पाओगे।
तेरे सारे दुख भी सुख में बदलेंगे ये बोलना चाहती हूँ
बड़ो का संम्मान कम न करना ये कहना चाहती हूँ।
संयुक्त परिवार में स्नहे भरपूर बस ये बोलना चाहती हूँ
अकेले भूल जाओ प्यार की चाहत ये कहना चाहती हूँ
दुख आता तो होता साथ परिवार ये बताना चाहती हूं
दुख में साथ खड़ा रहता परिवार ये बोलना चाहती हूँ।