मेरा दिल है या खिलौना !!
यह दुनियावालों ने मेरे दिल को समझ रखा खिलौना,
जब जी चाहे तोड़ देना और जब जी चाहे जोड़ देना ।
जज्बातों की तो जैसे कोई यहां कद्र ही नहीं रह गई ,
पत्थरों के बीच भला शीशा ए दिल का क्या ठिकाना।
हम चाक दामन सीते रहें रह रह कर सर्द आहें भरें ,
और उनका शौक हो गया रोजाना हमें चोट पहुंचाना ।
यूं ही दिलदार बनना तो इनकी अदाकारी में शुमार है ,
यह हमारी भूल है इनके फरेब को सच समझ लेना ।
हम अपना हाल ए दिल भी कहें तो इन्हें शिकायत लगे,
बड़ा मुश्किल हो गया खुदाया! लोगों को समझाना ।
आखिर अपने दिल के दाग किसे दिखाए यह” अनु”,
अपनेपन का नकाब पहने हुए हर शख्स लगे बेगाना ।