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20 May 2020 · 1 min read

मेरा चांद

चांद छुपा है जाकर मेरा, अब्र के नाजुक बाहों में
हमने उसको तार भेजा है हवा के चंचल बाहों में

सौतन के बालों में जा कर अटका होगा मेरा चांद
रात गिरी है मद्धम मद्धम और वो सौतन के बाहों में

ये तो देखो जाना मैंने भी खुद पे कितना जुल्म किया है
उसका नाम लिया और समेटा खुद को तनहाई के बाहों में

अल्हड़ अलमस्त निगाहों से उस ने पहले मुझको देखा था
आज भी गिरफ्थातार खड़ी हूं उन्हीं नशीली सी आंखों में
~ सिद्धार्थ

रात वो आया था सपने में बीन आवाज़ लगाए
उसको हम ने देख लिया बिना पलक झपकाए…
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
4 Likes · 485 Views
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