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22 Oct 2017 · 1 min read

मेरा इश्क़…

कोई ख़ामोश हैं मेरी चौखट पर मग़र..आना जाना काफ़ी हैं!
कोई घूर रहा हैं नम आँखों से मगर..बात गहरी काफ़ी हैं!
आख़िर जी कर भी मरना तो आसां नही ..फिर भी जी रहा हूँ!
मै झूम रहा था उसकी आहट में मग़र…वो परेशान काफ़ी हैं!!
–सीरवी प्रकाश पंवार

Language: Hindi
Tag: शेर
367 Views
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