मेधा को सम्मान..!
मेधा को सम्मान..!
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जात धर्म की ये परिभाषा
राजनीति की कुटिल अभिलाषा
बलि का बकरा देश बना है
दुस्परिणाम मेधा भुगत रहा है
कब तक यह अभिशाप रहेगा
कब तक इसका श्राप चलेगा
आखिर कब तक यूँ ही ऐसा
कुप्रथा का ठाट चलेगा
आरक्षण के बल बूते पर
भ्रष्टाचार का मान बढेगा
वर्ण भेद की यह ब्यवस्था
आखिर कब तक हमेँ छलेगा
परशुराम अब आना होगा
परशु फिर से उठाना होगा
राजतन्त्र के इस भ्रम जाल से
मेधावि को बचाना होगा
खण्डित कर माया आरक्षण
मेधा को मान दिलाना होगा
हे ! प्रभु अब आ भी जाओ
मेधा को कोई मार्ग दिखाओ।
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संजीव शुक्ल “सचिन”