Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jul 2017 · 1 min read

मेंहदी : मुक्तक

मेंहदी
// दिनेश एल० “जैहिंद”

मैं कभी जंगलों में गुमसुम सोई थी ।
निज अनुपयोगिता पे छुपछुप रोई थी ।।
शुक्रगुजार हूँ मैं उन ऋषि-मुनियों की,,
उनकी नज़रों में जो कभी मैं आई थी ।।

मेरी शीतलता व कोमलता अपनाओ ।
मेरी लालिमा और मोहकता अपनाओ ।।
मेरे इन गुनों को अपनाकर जगत में,,
अपने प्रियवर पिया की प्यारी बन जाओ ।।

मैं मेहँदी बड़ी असरदार हूँ ।
रक्त वर्णा बहुत चटकदार हूँ ।।
मेरी पूछ बड़ी स्त्रियों में,,
मैं जो प्रिय उनका सिंगार हूँ ।।

=== मौलिक ====
दिनेश एल० “जैहिंद”
15. 06. 2017

Language: Hindi
424 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अंतिम इच्छा
अंतिम इच्छा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
उतना ही उठ जाता है
उतना ही उठ जाता है
Dr fauzia Naseem shad
2505.पूर्णिका
2505.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
खेत खलिहनवा पसिनवा चुवाइ के सगिरिउ सिन्वर् लाहराइ ला हो भैया
खेत खलिहनवा पसिनवा चुवाइ के सगिरिउ सिन्वर् लाहराइ ला हो भैया
Rituraj shivem verma
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
पुरानी ज़ंजीर
पुरानी ज़ंजीर
Shekhar Chandra Mitra
* विदा हुआ है फागुन *
* विदा हुआ है फागुन *
surenderpal vaidya
"रुख़सत"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी बेटी
मेरी बेटी
लक्ष्मी सिंह
संतोष भले ही धन हो, एक मूल्य हो, मगर यह ’हारे को हरि नाम’ की
संतोष भले ही धन हो, एक मूल्य हो, मगर यह ’हारे को हरि नाम’ की
Dr MusafiR BaithA
💐अज्ञात के प्रति-110💐
💐अज्ञात के प्रति-110💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तेवरी इसलिए तेवरी है [आलेख ] +रमेशराज
तेवरी इसलिए तेवरी है [आलेख ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
*मजा हार में आता (बाल कविता)*
*मजा हार में आता (बाल कविता)*
Ravi Prakash
मानते हो क्यों बुरा तुम , लिखे इस नाम को
मानते हो क्यों बुरा तुम , लिखे इस नाम को
gurudeenverma198
.....★.....
.....★.....
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
दोहा- छवि
दोहा- छवि
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
■ याद रहे...
■ याद रहे...
*Author प्रणय प्रभात*
मेरी चुनरी में लागा दाग, कन्हैया
मेरी चुनरी में लागा दाग, कन्हैया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हैं श्री राम करूणानिधान जन जन तक पहुंचे करुणाई।
हैं श्री राम करूणानिधान जन जन तक पहुंचे करुणाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
🍁
🍁
Amulyaa Ratan
मातृभाषा हिन्दी
मातृभाषा हिन्दी
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
Ravikesh Jha
मैंने इन आंखों से गरीबी को रोते देखा है ।
मैंने इन आंखों से गरीबी को रोते देखा है ।
Phool gufran
जब  फ़ज़ाओं  में  कोई  ग़म  घोलता है
जब फ़ज़ाओं में कोई ग़म घोलता है
प्रदीप माहिर
किए जिन्होंने देश हित
किए जिन्होंने देश हित
महेश चन्द्र त्रिपाठी
मां कात्यायनी
मां कात्यायनी
Mukesh Kumar Sonkar
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर....
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
प्रेम और आदर
प्रेम और आदर
ओंकार मिश्र
हिंदी का सम्मान
हिंदी का सम्मान
Arti Bhadauria
Loading...