मूर्ख दिवस पर
खूब बनाया प्यार से, .सबको एप्रिल फूल !
जब हर दिल में प्रेम था,मौसम थाअनुकूल !!
दिवस एप्रिल फूल का,आता है जिस रोज!
इक दूजे के बीच मे,रहे मूर्ख सब खोज !!
क्या होगा इससे अधिक,वहाँ मित्र अपमान!
करना पड जाये जहाँ, .मूर्खो का सम्मान!!
करे हीन महसूस खुद ,वहाँ बहुत विद्वान!
जहाँ हाथ से कर दिया,मूर्खों का सम्मान!!
रमेश शर्मा..