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1 Oct 2018 · 1 min read

मुक़म्मल कर इश्क़ तू

तेरी यादों के घेरे
मुझें दिन रात सवेरे
क्यूं तड़पाते हैं इस क़दर
ये हर लम्हात ये हर पहर
ये क़दम जवां हैं मग़र कहाँ है
चल चलें रहगुज़र
तेरे आशिये से निकल तू
मेरे साथ साथ चल तू
मुक़म्मल कर इश्क़ तू
मुसलसल कर इश्क़ तू…………

भूल नहीं सकता मैं
बहारों के सफ़र वो
भूल नहीं सकता मैं गुज़रे पहर वो
आ जा बनकर सहर
रंगीली धूप सा छनकर
पानी की बूंद सा बनकर
चल चलें रहगुज़र
सुबह की ओस सा पिघल तू
मुक़म्मल कर इश्क़ तू
मुसलसल कर इश्क़ तू………

………………..
~अजय “अग्यार

Language: Hindi
Tag: गीत
224 Views
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