मुहब्बत का हमने जाम ले लिया ………….
मुहब्बत का हमने जाम ले लिया ,
जुदाई इबादत का दाम ले लिया !!
वो खुश है अकेले हो हमसे जुदा ,
तो हमने भी आखरी सलाम ले लिया !!
फरेबी मुहब्बत में वादाखिलाफी,
न जानो कोई इंतकाम ले लिया !!
कही हो न जाए रुसवा मुहब्बत,
अगर हमने उनका नाम ले लिया !!
चैन है गवाया कर उनसे मुहब्बत ,
जागती रातो का पैगाम ले लिया !!
निले आसमां में नदारत है बादल ,
यहा किसने अपना काम ले लिया !!
जी रहा हैं शशी आज भी मुस्कुराकर,
न जाने क्यों ऐसा अंजाम ले लिया !!
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✒ शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्रमनध्वनी – ९९७५९९५४५०