Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jan 2019 · 1 min read

* मुस्कुराते हैं हम हमी पर *

मुस्कुराते हैं हम हमी पर
कभी थे हम आसमां पर
आज भी हैं हम जमीं पर
कल क्या हो सरजमीं पर
मुस्कुराते हैं हम हमी पर
कभी थे हम आसमां पर
तारे भी क्या थे जिनको
हम ला सकते जमीं पर
हम है हमने तो छल है हमी को
ना छला है जर-जोरू-जमीं को
मुस्कुराते थे तब भी हम तो
आज यूं मुस्कुराते हैं हम तो
गुज़री जो आसमां पर
उसे जमीं क्या जाने
सींचा लहू पिला अपना
उसे धरती क्या जाने
मुस्कुराते हैं हम हमी पर
कभी थे हम आसमां पर
गहरे समंदर ज्यूं नदियां समाये
सौंपे तन ये दुःख सागर समाये
आहे सुनाएं अब किसको
दुःख अब नदियां ना भाये
कहते हैं सागर-नीर है बहु-खारा
ग़म सुन नयनों से बहे अश्रु-धारा
मुस्कुराते हैं हम हमी पर
कभी थे हम आसमां पर
ये खेल है सब अपना रचाया
कोई क्यूं शोर इतना मचाया
ये वक्त कहाँ ठहरा है
जो किसी का पहरा है
बदलेगा वक्त-वक्त नहीं है ठहरा
सुनलो वक्त घाव देता है गहरा
भर जाते हैं वक्त पर पांव-घाव
जिंदगी कभी धूप है कभी छांव
मुस्कुराते हैं हम हमी पर
कभी थे हम आसमां पर
?मधुप बैरागी

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 351 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
You may also like:
मैं चाहता हूँ अब
मैं चाहता हूँ अब
gurudeenverma198
अब मेरी आँखों ने आँसुओ को पीना सीख लिया है,
अब मेरी आँखों ने आँसुओ को पीना सीख लिया है,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जीवन अप्रत्याशित
जीवन अप्रत्याशित
पूर्वार्थ
* तुम न मिलती *
* तुम न मिलती *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
यादों की शमा जलती है,
यादों की शमा जलती है,
Pushpraj Anant
हम जिएँ न जिएँ दोस्त
हम जिएँ न जिएँ दोस्त
Vivek Mishra
एक सत्य
एक सत्य
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
निगाहें
निगाहें
Shyam Sundar Subramanian
खामोश
खामोश
Kanchan Khanna
किसी की प्रशंसा एक हद में ही करो ताकि प्रशंसा एवं 'खुजाने' म
किसी की प्रशंसा एक हद में ही करो ताकि प्रशंसा एवं 'खुजाने' म
Dr MusafiR BaithA
मैंने पीनी छोड़ तूने जो अपनी कसम दी
मैंने पीनी छोड़ तूने जो अपनी कसम दी
Vishal babu (vishu)
लोकसभा बसंती चोला,
लोकसभा बसंती चोला,
SPK Sachin Lodhi
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है
कवि दीपक बवेजा
दीपावली
दीपावली
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
2570.पूर्णिका
2570.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"साइंस ग्रुप के समान"
Dr. Kishan tandon kranti
जन अधिनायक ! मंगल दायक! भारत देश सहायक है।
जन अधिनायक ! मंगल दायक! भारत देश सहायक है।
Neelam Sharma
ग़ज़ल/नज़्म - न जाने किस क़दर भरी थी जीने की आरज़ू उसमें
ग़ज़ल/नज़्म - न जाने किस क़दर भरी थी जीने की आरज़ू उसमें
अनिल कुमार
*मुहर लगी है आज देश पर, श्री राम के नाम की (गीत)*
*मुहर लगी है आज देश पर, श्री राम के नाम की (गीत)*
Ravi Prakash
जला रहा हूँ ख़ुद को
जला रहा हूँ ख़ुद को
Akash Yadav
ऊपर से मुस्कान है,अंदर जख्म हजार।
ऊपर से मुस्कान है,अंदर जख्म हजार।
लक्ष्मी सिंह
“एक नई सुबह आयेगी”
“एक नई सुबह आयेगी”
पंकज कुमार कर्ण
कुछ इस लिए भी आज वो मुझ पर बरस पड़ा
कुछ इस लिए भी आज वो मुझ पर बरस पड़ा
Aadarsh Dubey
राजा जनक के समाजवाद।
राजा जनक के समाजवाद।
Acharya Rama Nand Mandal
दर्द
दर्द
Satish Srijan
Tea Lover Please Come 🍟☕️
Tea Lover Please Come 🍟☕️
Urmil Suman(श्री)
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
इश्क वो गुनाह है
इश्क वो गुनाह है
Surinder blackpen
तुम्हारी वजह से
तुम्हारी वजह से
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
ये संगम दिलों का इबादत हो जैसे
ये संगम दिलों का इबादत हो जैसे
VINOD CHAUHAN
Loading...