मुस्कान
इतिहास को लिख डाला उन्होंने
शब्दों से बातें कर हास्य रच डाला उन्होंने
न जाने कितने दर्द छुपे थे उन आखों में
फिर भी हर गम को मुस्कान में बदल डाला उन्होंने
क्या होती है मुस्कान
ये समझा दिया उन्होंने
आखों पर उल्टा चश्मा लगाए
उस चश्मे से परिचित करवाया उन्होंने
गोकुलधाम के आदर्श किस्से लिखकर
इस दुनिया को भी आदर्श बनाने का ख्वाब हमको सौप दिया उन्होंने
ज़िन्दगी में रंग भरकर
मुस्कान से मुलाकात करवा दिया उन्होंने
आखिर क्या महत्व है परिवार का
“तारक मेहता का उल्टा चश्मा से”
रूबरू करवा दिया उन्होंने
खट्टी मीठी नोक झोंक तो होती है हर परिवार में
लेकिन अपनों के होने की परिभाषा को बता दिया उन्होंने
बीमारी का ज़ख्म था गहरा
लेकिन अपनी झूठी मुस्कान से दबा लिया उन्होंने
मौत का रास्ते पर था पहरा
फिर भी शब्दों का खेल नही छोड़ा उन्होंने
वक्त कम है मालूम था उन्हें,
लेकिन “यु ही बस मुस्कुराते रहो” कहकर
दुनिया को अलविदा कह दिया उन्होंने