मुसलमान का मतलब
मुसलसल ईमान रखता जो रखता ,
उसका कुदरत भी करती है सदका।
अपने खुदा पर तो ईमान रखता ही है ,
दूसरे मजहबों का भी करे वो सजदा।
औरतों और उनके हकों की इज़्ज़त करे,
और बच्चों के प्रति रखे स्नेह और ममता ।
बेजुबानों का व्यर्थ न बहाए खून न सताए,
और गरीबों / कमजोरों की करे सहायता।
सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर चले ,
प्यार,करुणा और त्याग हो उसकी विशेषता।
जेहाद का सही मतलब समझकर अमल करे ,
जीव मात्र से स्नेह करे इसी का नाम है मानवता ।
वतनपरस्ती में ईमान हो जिसका हर समय ,
वतन के जीना मरना हो जीवन की आवश्यकता ।
गर हर मुसलमान हो रफी,साहिर औ कलाम जैसा,
तो न होगा कभी वैमनस्य और न होगी असहिष्णुता।
देश और समाज बन सकेंगे तभी स्वर्ग के समान जब ,
सभी धर्मो में होगी परस्पर प्रेम और अटूट एकता ।