मुश्किल
मुश्किल
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जाडे की रात हो,
अंगीठी में आग हो
रजाई भी पास हो,
सर चिन्ता का पहाड़ हो
जीना होगा मुश्किल।
न कोई आस पास हो,
न अपनों का साथ हो
न मन में विश्वास हो,
न पाने की आश हो
जीना होगा मुश्किल।
दौलत अपार हो,
भरा ब्यपार हो,
संभावना अपार हो,
सुविधा तमाम हो,
न शान्ति का साथ हो,
जीना होगा मुश्किल।
भरा परिवार हो,
साधन अपार हो,
दौलत भरमार हो,
सपने साकार हों,
जो आपस में न प्यार हो,
जीना होगा मुश्किल।
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©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”