मुफ़्लिसी
मुफ़्लिसि मे कभी तुम भी चुल्हे जलाकर तो देखो?
ज़द्दोजहद के जलते चुल्हे में झुलसने की क़द्र तो होगी.
शायर©किशन कारीगर
मुफ़्लिसि मे कभी तुम भी चुल्हे जलाकर तो देखो?
ज़द्दोजहद के जलते चुल्हे में झुलसने की क़द्र तो होगी.
शायर©किशन कारीगर