सरस्वती वंदना (मुनि शेखर छंद)
#छंद? #मुनि_शेखर
#विधा ? #मुनि_शेखर_छंद आधारित गीत
जिसका विधान है:- यह २० वर्णी वर्णिक छंद है।
वर्ण वृत- सगण,जगण,जगण,भगण,रगण,सगण, लगा।
अंकावली: ११२,१२१,१२१,२११,२१२,११२,१२
दो-दो चरण समतुकांत
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रचना? सरस्वती वंदना
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मन से मिटे कुविचार माँ शुभ कर्म का उपहार दे |
पग में झुकाकर शीश मैं अब मांगता वर शारदे ||
हिय से लगा कर वत्स का दुविधा सदा तुम पाटती |
हर विघ्न में बन ढाल माँ विपदा सभी भय छाँटती |
कर नेह की बरसात माँ निज पुत्र को तब पालती |
हर बात का रख ध्यान माँ गुण पुत्र के उर डालती ||
ममता दिखाकर नेह से विपदा मिटा सुखसार दे |
पग में झुकाकर शीश मैं अब मांगता वर शारदे ||१||
ममतामयी सुखदायिनी वरदायिनी दुखनासिनी |
ममता तले रख ज्ञान दो दुख दूर हो मुखवासिनी |
मतिमंद को अब ज्ञान का वरदान दो भवतारिणी |
अनभिज्ञता हिय से मिटे यह मान दो जगकारिणी ||
मतिमूढ़ को अब बोध का वरदान दे तम तार दे |
पग में झुकाकर शीश मैं अब मांगता वर शारदे ||२||
शुचि ज्ञान का सुविचार दो तम नाश हो तमहारिणी |
करता रहूँ नित ध्यान पूजन मातु हे ! उपकारिणी |
मतिमूढ़ मैं मतिमंद बालक ज्ञान दो वरदायिनी |
उर में रहे निज भक्ति का वरदान दो अनपायनी ||
वरदान दे भव ज्ञान दे अनभिज्ञ को कछु प्यार दे |
पग में झुकाकर शीश मैं अब मांगता वर शारदे ||३||
पूर्णतः स्वरचित , स्वप्रमाणित
पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
( शहर का नाम :- मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण, बिहार