मुझे स्वप्न लोक में खोंने दो
मुझे स्वप्नलोक में खोने दो, कुछ और अंधेरा होने दो
जी भर गया दुनियादारी से, झूठी इस आंगनवारी से
तेज चमकती भोरों से, शोर भरी इन शामों से
कुछ पल में अपने सपनों में ले लूं
घनघोर तिमिर छा जाने दो, कुछ और अंधेरा होने दो
मुझे स्वप्नलोक में खोने दो
जहां न किसी का भय होगा, सब दुख दर्दों का छय होगा
ना होंगे ईर्ष्या द्वेष, न छोटा न कोई बड़ा होगा
कुछ पल मैं सपनों में ले लूं, वह नेक निशा छा जाने दो
कुछ और अंधेरा होने दो, मुझे स्वप्नलोक में खोने दो
कुछ और अंधेरा होने दो