मुझे भी ब्रेक चाहिए … ( एक गृहिणी की चाहत )
उम्र की ढलान पर हूं ,
कुछ अशक्त भी ,
मुझे विराम चाहिए ।
बहुत थक चुकी हूं ,
शिथिल है पग भी ,
कुछ ठहराव चाहिए ।
यह जिम्मेदारियों,
यह कर्तव्य उबाने लगे हैं ।
इनसे अब मुक्ति चाहिए ।
वही सुबह – शाम ,
वही दिन – रात मेरे ,
दिनचर्या भी वही ,
अब कुछ नया चाहिए ।
चाहिए जीवन में शांति ,
एक एकांत खुद से मिलने हेतु ,
मुझे अपनी अवैतनिक नौकरी से ,
कुछ समय के लिए ब्रेक चाहिए ।