Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Mar 2018 · 3 min read

मुजफ्फर हुसैन

कलम के योद्धा मुजफ्फर हुसैन

अपने लेखन से सत्य को उजागर करना बहुत कठिन काम है। वो भी एक कट्टर समुदाय के बीच; पर मुजफ्फर हुसेन ने जब कलम उठाई, तो फिर बिना डरे लगातार 50 साल तक इस धर्म का निष्ठा से पालन किया।

उनका जन्म 20 मार्च, 1940 को म.प्र. के नीमच नगर में हुआ था। उनके पिताजी वैद्य थे। बचपन से ही उनकी रुचि पढ़ने और लिखने में थी। जब वे 15 वर्ष के थे, तो उनके शहर में सरसंघचालक श्री गुरुजी का एक कार्यक्रम था। संघ विरोधी एक अध्यापक ने कुछ छात्रों से वहां परचे बंटवाएं। मुजफ्फर हुसेन भी उनमें से एक थे। कुछ कार्यकर्ताओं ने उन्हें पकड़ लिया। कार्यक्रम के बाद उन्हें गुरुजी के पास ले जाया गया। मुजफ्फर हुसेन सोचते थे कि उनकी पिटाई होगी; पर गुरुजी ने उन्हें प्यार से बैठाया, खीर खिलाई और कोई कविता सुनाने को कहा। मुजफ्फर हुसेन ने रसखान के दोहे सुनाए। इस पर श्री गुरुजी ने उन्हें आशीर्वाद देकर विदा किया। इस घटना से उनका मन बदल गया।

नीमच से स्नातक होकर वे कानून पढ़ने मुंबई आये और फिर यहीं के होकर रह गये। नीमच के एक अखबार में उनका लेख ‘कितने मुसलमान’ पढ़कर म.प्र. में कार्यरत वरिष्ठ प्रचारक श्री सुदर्शन जी उनसे मिले। सुदर्शन जी के गहन अध्ययन से वे बहुत प्रभावित हुए और उनके लेखन को सही दिशा मिली। अब वे जहां एक ओर हिन्दुत्व और राष्ट्रीयता के पुजारी हो गये, वहां इस्लाम की कुरीतियों और कट्टरता के विरुद्ध उनकी कलम चलने लगी। यद्यपि इससे नाराज मुसलमानों ने उन्हें धमकियां दीं; पर उन्होंने सत्य का पथ नहीं छोड़ा।

आपातकाल में वे बुलढाणा और मुंबई जेल में रहे। लेखन ही उनकी आजीविका थी। हिन्दी, गुजराती, मराठी, उर्दू, अरबी, पश्तो आदि जानने के कारण उनके लेख इन भाषाओं के 24 पत्रों में नियमित रूप से छपते थे। मुस्लिम जगत की हलचलों की चर्चा वे अपने लेखों में विस्तार से करते थे। प्रखर वक्ता होने के कारण विभिन्न सभा, गोष्ठी तथा विश्वविद्यालयों में उनके व्याख्यान होते रहते थे। उनके भाषण तथ्य तथा तर्कों से भरपूर रहते थे।

वे इस्लाम के साथ ही गीता और सावरकर साहित्य के भी अध्येता थे। शाकाहार एवं गोरक्षा के पक्ष में वे कुरान एवं हदीस के उद्धरण देते थे। वे मुसलमानों से कहते थे कि कुरान को राजनीतिक ग्रंथ की तरह न पढ़ें तथा भारत में हिन्दुओं से मिलकर चलें। वे देवगिरि समाचार (औरंगाबाद), तरुण भारत, पांचजन्य (दिल्ली) और विश्व संवाद केन्द्र, मुंबई से लगातार जुड़े रहे। वे मजहब के नाम पर लोगों को बांटने वालों की अच्छी खबर लेते थे। कई लोगों को लगता था कि कोई हिन्दू ही छद्म नाम से ये लेख लिखता है।

आगे चलकर सुदर्शन जी एवं इन्द्रेश जी के प्रयास से ‘मुस्लिम राष्ट्रीय मंच’ का गठन हुआ। श्री हुसेन की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका रही। वे विद्याधर गोखले की संस्था ‘राष्ट्रीय एकजुट’ में भी सक्रिय थे। समाज और देशहित के किसी काम से उन्हें परहेज नहीं था। वर्ष 2002 में उन्हें ‘पद्मश्री’ तथा 2014 में महाराष्ट्र शासन द्वारा ‘लोकमान्य तिलक सम्मान’ से अलंकृत किया गया। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं। इनमें इस्लाम एवं शाकाहार, मुस्लिम मानसिकता, मुंबई के दंगे, अल्पसंख्यकवाद के खतरे, लादेन और अफगानिस्तान, समान नागरिक संहिता…आदि प्रमुख हैं। इनका कई भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है।

‘राष्ट्रीय उर्दू काउंसिल’ के अध्यक्ष के नाते उन्होंने राष्ट्रवादी सोच के कई लेखक तैयार किये। वे मुसलमानों के बोहरा समुदाय से सम्बद्ध थे। वहां भी उन्होंने सुधार के अभियान चलाये। मुस्लिम मानस एवं समस्याओं की उन्हें गहरी समझ थी। वे स्वयं नमाज पढ़ते थे; पर जेहादी सोच के विरुद्ध थे। 13 फरवरी, 2018 को मुंबई में ही कलम के इस योद्धा का निधन हुआ।

Language: Hindi
Tag: लेख
279 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
राष्ट्र निर्माण के नौ दोहे
राष्ट्र निर्माण के नौ दोहे
Ravi Prakash
चालें बहुत शतरंज की
चालें बहुत शतरंज की
surenderpal vaidya
कब तक यही कहे
कब तक यही कहे
मानक लाल मनु
'चो' शब्द भी गजब का है, जिसके साथ जुड़ जाता,
'चो' शब्द भी गजब का है, जिसके साथ जुड़ जाता,
SPK Sachin Lodhi
शायरी
शायरी
श्याम सिंह बिष्ट
Image of Ranjeet Kumar Shukla
Image of Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
प्रणय 4
प्रणय 4
Ankita Patel
" बंदिशें ज़ेल की "
Chunnu Lal Gupta
लाल फूल गवाह है
लाल फूल गवाह है
Surinder blackpen
मेरा दिन भी आएगा !
मेरा दिन भी आएगा !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
बहता पानी
बहता पानी
साहिल
💐 Prodigy Love-27💐
💐 Prodigy Love-27💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ढलता सूरज वेख के यारी तोड़ जांदे
ढलता सूरज वेख के यारी तोड़ जांदे
कवि दीपक बवेजा
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
*जब एक ही वस्तु कभी प्रीति प्रदान करने वाली होती है और कभी द
*जब एक ही वस्तु कभी प्रीति प्रदान करने वाली होती है और कभी द
Shashi kala vyas
एक समय के बाद
एक समय के बाद
हिमांशु Kulshrestha
तुकबन्दी,
तुकबन्दी,
Satish Srijan
।। सुविचार ।।
।। सुविचार ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
Life through the window during lockdown
Life through the window during lockdown
ASHISH KUMAR SINGH
2
2
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मेला दिलों ❤️ का
मेला दिलों ❤️ का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"जरा सोचो"
Dr. Kishan tandon kranti
■ दूसरा पहलू
■ दूसरा पहलू
*Author प्रणय प्रभात*
जब तुम हारने लग जाना,तो ध्यान करना कि,
जब तुम हारने लग जाना,तो ध्यान करना कि,
पूर्वार्थ
मेरे सपनों में आओ . मेरे प्रभु जी
मेरे सपनों में आओ . मेरे प्रभु जी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आहुति  चुनाव यज्ञ में,  आओ आएं डाल
आहुति चुनाव यज्ञ में, आओ आएं डाल
Dr Archana Gupta
खुशी ( Happiness)
खुशी ( Happiness)
Ashu Sharma
नव अंकुर स्फुटित हुआ है
नव अंकुर स्फुटित हुआ है
Shweta Soni
Bahut fark h,
Bahut fark h,
Sakshi Tripathi
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल
Pratibha Pandey
Loading...