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21 Jan 2018 · 1 min read

मुखौटे ही मुखौटे

दर्द की चौखट पर
विषाद से घिरे
भरे भरे नैनों से
फिर भी भाव छुपाते
मुस्कराते मुखौटे ही मुखौटे

धर्म की आढ़ में
छलते मानव मन को
कलुष ह्रदय ले
फिर भी भाव छुपाते
मुस्कराते मुखौटे ही मुखौटे

ताश के महल से
सपने सारे ढह गये
ख्वाहिशें आँसुओं में बह गयी
फिर भी भाव छुपाते
मुस्कराते मुखौटे ही मुखौटे

ओस की बूँद सा
निर्मल ह्रदय लिये
ले स्मित की रेखा
बिन भाव छुपाये
होते लाखों में एक
मुस्काते बिन मुखौटे

मीनाक्षी भटनागर
स्वरचित

Language: Hindi
435 Views
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