Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Feb 2019 · 1 min read

मुक्तक

दर्द के हाथों खुशी को बेच मत,
अपने होंठों की हँसी को बेच मत,
क्या लगाएगा भला कीमत कोई,
मान-मर्यादा, खुदी को बेच मत।

Language: Hindi
383 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*हम नदी के दो किनारे*
*हम नदी के दो किनारे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
उजालों में अंधेरों में, तेरा बस साथ चाहता हूँ
उजालों में अंधेरों में, तेरा बस साथ चाहता हूँ
डॉ. दीपक मेवाती
💐प्रेम कौतुक-176💐
💐प्रेम कौतुक-176💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*छोटी होती अक्ल है, मोटी भैंस अपार * *(कुंडलिया)*
*छोटी होती अक्ल है, मोटी भैंस अपार * *(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कभी-कभी वक़्त की करवट आपको अचंभित कर जाती है.......चाहे उस क
कभी-कभी वक़्त की करवट आपको अचंभित कर जाती है.......चाहे उस क
Seema Verma
चेहरे की पहचान ही व्यक्ति के लिये मायने रखती है
चेहरे की पहचान ही व्यक्ति के लिये मायने रखती है
शेखर सिंह
पराया हुआ मायका
पराया हुआ मायका
विक्रम कुमार
खड़कते पात की आवाज़ को झंकार कहती है।
खड़कते पात की आवाज़ को झंकार कहती है।
*Author प्रणय प्रभात*
Fastest technology since ages that is human mind .stop using
Fastest technology since ages that is human mind .stop using
Nupur Pathak
!! गुजर जायेंगे दुःख के पल !!
!! गुजर जायेंगे दुःख के पल !!
जगदीश लववंशी
व्याकरण पढ़े,
व्याकरण पढ़े,
Dr. Vaishali Verma
धड़कनें जो मेरी थम भी जाये तो,
धड़कनें जो मेरी थम भी जाये तो,
हिमांशु Kulshrestha
लेकिन क्यों ?
लेकिन क्यों ?
Dinesh Kumar Gangwar
जमाना है
जमाना है
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वो बीते हर लम्हें याद रखना जरुरी नही
वो बीते हर लम्हें याद रखना जरुरी नही
'अशांत' शेखर
खींचो यश की लम्बी रेख।
खींचो यश की लम्बी रेख।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
बादल बरसे दो घड़ी, उमड़े भाव हजार।
बादल बरसे दो घड़ी, उमड़े भाव हजार।
Suryakant Dwivedi
संघर्षशीलता की दरकार है।
संघर्षशीलता की दरकार है।
Manisha Manjari
गरीबी
गरीबी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दुनियादारी....
दुनियादारी....
Abhijeet
कुछ
कुछ
Shweta Soni
जिंदगी की ऐसी ही बनती है, दास्तां एक यादगार
जिंदगी की ऐसी ही बनती है, दास्तां एक यादगार
gurudeenverma198
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
दोहा- दिशा
दोहा- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"बे-दर्द"
Dr. Kishan tandon kranti
बिहार, दलित साहित्य और साहित्य के कुछ खट्टे-मीठे प्रसंग / MUSAFIR BAITHA
बिहार, दलित साहित्य और साहित्य के कुछ खट्टे-मीठे प्रसंग / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
*
*"ओ पथिक"*
Shashi kala vyas
2558.पूर्णिका
2558.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
अब किसे बरबाद करोगे gazal/ghazal By Vinit Singh Shayar
अब किसे बरबाद करोगे gazal/ghazal By Vinit Singh Shayar
Vinit kumar
मेरा मन उड़ चला पंख लगा के बादलों के
मेरा मन उड़ चला पंख लगा के बादलों के
shabina. Naaz
Loading...