Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jan 2019 · 1 min read

मुक्तक

” बेचैनियाँ बढ़ीं तो दुआ बन गई ग़ज़ल,
ज़र्रे जो थरथराए, सदा बन गई ग़ज़ल,
चमकी कहीं जो बर्क़ तो ऐहसास बन गई,
छाई कहीं घटा तो अदा बन गई ग़ज़ल”

Language: Hindi
440 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कितनी मासूम
कितनी मासूम
हिमांशु Kulshrestha
अयोध्या धाम
अयोध्या धाम
विजय कुमार अग्रवाल
गुरु पूर्णिमा आ वर्तमान विद्यालय निरीक्षण आदेश।
गुरु पूर्णिमा आ वर्तमान विद्यालय निरीक्षण आदेश।
Acharya Rama Nand Mandal
रात के अंधेरे में नसीब आजमाना ठीक नहीं है
रात के अंधेरे में नसीब आजमाना ठीक नहीं है
कवि दीपक बवेजा
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
Ravikesh Jha
याद आते हैं वो
याद आते हैं वो
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
चंदा का अर्थशास्त्र
चंदा का अर्थशास्त्र
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बेचारी माँ
बेचारी माँ
Shaily
କେବଳ ଗୋଟିଏ
କେବଳ ଗୋଟିଏ
Otteri Selvakumar
सत्य को सूली
सत्य को सूली
Shekhar Chandra Mitra
■ आज का विचार
■ आज का विचार
*Author प्रणय प्रभात*
साहस का सच
साहस का सच
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दीपावली
दीपावली
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
संसार में कोई किसी का नही, सब अपने ही स्वार्थ के अंधे हैं ।
संसार में कोई किसी का नही, सब अपने ही स्वार्थ के अंधे हैं ।
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
अनिल कुमार
पाखी खोले पंख : व्यापक फलक की प्रस्तुति
पाखी खोले पंख : व्यापक फलक की प्रस्तुति
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
💐अज्ञात के प्रति-75💐
💐अज्ञात के प्रति-75💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सुप्रभात
सुप्रभात
डॉक्टर रागिनी
चंडीगढ़ का रॉक गार्डेन
चंडीगढ़ का रॉक गार्डेन
Satish Srijan
कसीदे नित नए गढ़ते सियासी लोग देखो तो ।
कसीदे नित नए गढ़ते सियासी लोग देखो तो ।
Arvind trivedi
एक कसक
एक कसक
Dr fauzia Naseem shad
दूरियां ये जन्मों की, क्षण में पलकें मिटातीं है।
दूरियां ये जन्मों की, क्षण में पलकें मिटातीं है।
Manisha Manjari
*आज छपा जो समाचार वह, कल बासी हो जाता है (हिंदी गजल)*
*आज छपा जो समाचार वह, कल बासी हो जाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
पूर्वार्थ
23/57.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/57.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Mai apni wasiyat tere nam kar baithi
Mai apni wasiyat tere nam kar baithi
Sakshi Tripathi
"नवरात्रि पर्व"
Pushpraj Anant
शुद्धिकरण
शुद्धिकरण
Kanchan Khanna
जैसे जैसे उम्र गुज़रे / ज़िन्दगी का रंग उतरे
जैसे जैसे उम्र गुज़रे / ज़िन्दगी का रंग उतरे
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बहुत कुछ अधूरा रह जाता है ज़िन्दगी में
बहुत कुछ अधूरा रह जाता है ज़िन्दगी में
शिव प्रताप लोधी
Loading...