Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Oct 2018 · 1 min read

मुक्तक

1

उलझनों से निकल नहीं पाई
ठोकरों में सँभल नहीं पाई
बदले भी रास्ते बहुत अपने
अपनी किस्मत बदल नहीं पाई

2

कर्मों से जग ये झुकाया हमने
रात दिन तन ये तपाया हमने
करना था दूर अँधेरों को जब
दिल भी अपना ही जलाया हमने

3

आसान नहीं जीना जीवन है
रिश्तों में भी कितनी उलझन है
तेरे मेरे की जंग छिड़ी है
प्रेम नहीं है अब बस बन्धन है

24-10-2018
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 283 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
स्नेह की मृदु भावनाओं को जगाकर।
स्नेह की मृदु भावनाओं को जगाकर।
surenderpal vaidya
कविता-शिश्कियाँ बेचैनियां अब सही जाती नहीं
कविता-शिश्कियाँ बेचैनियां अब सही जाती नहीं
Shyam Pandey
दिलों में प्यार भी होता, तेरा मेरा नहीं होता।
दिलों में प्यार भी होता, तेरा मेरा नहीं होता।
सत्य कुमार प्रेमी
सुना हूं किसी के दबाव ने तेरे स्वभाव को बदल दिया
सुना हूं किसी के दबाव ने तेरे स्वभाव को बदल दिया
Keshav kishor Kumar
नया साल
नया साल
Arvina
23/127.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/127.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अहंकार और अधंकार दोनों तब बहुत गहरा हो जाता है जब प्राकृतिक
अहंकार और अधंकार दोनों तब बहुत गहरा हो जाता है जब प्राकृतिक
Rj Anand Prajapati
ग़ज़ल _ मिरी #मैयत पे  रोने मे.....
ग़ज़ल _ मिरी #मैयत पे  रोने मे.....
शायर देव मेहरानियां
कोई भोली समझता है
कोई भोली समझता है
VINOD CHAUHAN
सच तो रंग काला भी कुछ कहता हैं
सच तो रंग काला भी कुछ कहता हैं
Neeraj Agarwal
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
Kumar Kalhans
"लाभ का लोभ”
पंकज कुमार कर्ण
हर एक अवसर से मंजर निकाल लेता है...
हर एक अवसर से मंजर निकाल लेता है...
कवि दीपक बवेजा
ज़िंदगी क्या है ?
ज़िंदगी क्या है ?
Dr fauzia Naseem shad
Ek ladki udas hoti hai
Ek ladki udas hoti hai
Sakshi Tripathi
कविता के मीत प्रवासी- से
कविता के मीत प्रवासी- से
प्रो०लक्ष्मीकांत शर्मा
हम ऐसी मौहब्बत हजार बार करेंगे।
हम ऐसी मौहब्बत हजार बार करेंगे।
Phool gufran
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
फिर क्यों मुझे🙇🤷 लालसा स्वर्ग की रहे?🙅🧘
फिर क्यों मुझे🙇🤷 लालसा स्वर्ग की रहे?🙅🧘
डॉ० रोहित कौशिक
प्रशांत सोलंकी
प्रशांत सोलंकी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
■ एक महीन सच्चाई।।
■ एक महीन सच्चाई।।
*Author प्रणय प्रभात*
अरुणोदय
अरुणोदय
Manju Singh
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
किए जिन्होंने देश हित
किए जिन्होंने देश हित
महेश चन्द्र त्रिपाठी
*किसी की जेब खाली है, किसी के पास पैसे हैं 【मुक्तक】*
*किसी की जेब खाली है, किसी के पास पैसे हैं 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
हावी दिलो-दिमाग़ पर, आज अनेकों रोग
हावी दिलो-दिमाग़ पर, आज अनेकों रोग
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दोहे-*
दोहे-*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
क्या लिखूँ....???
क्या लिखूँ....???
Kanchan Khanna
ये नयी सभ्यता हमारी है
ये नयी सभ्यता हमारी है
Shweta Soni
बेवफाई उसकी दिल,से मिटा के आया हूँ।
बेवफाई उसकी दिल,से मिटा के आया हूँ।
पूर्वार्थ
Loading...