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16 Sep 2018 · 1 min read

मुक्तक

मन में आग अधर हैं प्यासे चेहरों पर फिर भी मुस्कान,
मृत आवाज़ों का कोलाहल मीलों तक बस्ती बीरान,
इंसानों का जंगल दुनिया चेहरे दर चेहरे इंसान,
जग में आकर जीव-फ़रिश्ता भूल गया अपनी पहचान।

Language: Hindi
1 Like · 170 Views
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