मुक्तक
एहतेराम कैसे करूँ उस खुदा का
जिसने मुकम्मल बनाया इक फकीर को
पाकीज़गी भर के कलम में जिसकी
मेहफूज़ रखा “रोज़” की तहरीर को।
फिरोज कुमार “रोज़”
एहतेराम कैसे करूँ उस खुदा का
जिसने मुकम्मल बनाया इक फकीर को
पाकीज़गी भर के कलम में जिसकी
मेहफूज़ रखा “रोज़” की तहरीर को।
फिरोज कुमार “रोज़”