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6 Jan 2018 · 1 min read

मुक्तक

एक मुद्दत से अपना मुकाम ढूँढता हूँ!
मैं तेरी गुफ्तगूं सुबह-शाम ढूँढता हूँ!
जब भी नजर को घेरती हैं तन्हाइयाँ,
मैं अपनी ख्वाहिशों में जाम ढूँढता हूँ!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
417 Views
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