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24 Jul 2017 · 1 min read

मुक्तक

मैं इत्तेफाक से गुनाह कर बैठा हूँ!
तेरे रुखसार पर निगाह कर बैठा हूँ!
शामों-सहर रहता हूँ बेचैन इस कदर,
तेरे लिए जिन्दगी तबाह कर बैठा हूँ!

मुक्तककार-#मिथिलेश_राय

Language: Hindi
505 Views
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