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26 Sep 2021 · 1 min read

मुक्तक

शेरो के हम वंशज हैं सुनो आज यह बात बताते हैं,
हम मार झपट्टे खाल बदन से खींच ज़मीं पे लाते हैं,
भय से हमको भय कैसा भय भी हमसे भय खाते हैं,
सर्पों के फन कुचल – कुचल हम हाथो में लहराते हैं

Language: Hindi
179 Views
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