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27 Mar 2021 · 1 min read

मुक्तक

कभी टूटते ख्वाहिशों को देखते हैं,
कभी जिन्दगी के तार जोड़ते हैं,
क्या बतायें हम दिल के फसाने,
कहाँ कहाँ के दर्द में पैबन्द जोड़ते हैं।
© डा० निधि श्रीवास्तव “सरोद”…

Language: Hindi
1 Like · 317 Views
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