Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Feb 2017 · 1 min read

मुक्तक

तेरे बगैर मुझको कबतक जीना होगा?
जामे-अश्क मुझको कबतक पीना होगा?
भटकी हुई है जिन्द़गी राहे-सफर में,
जख्मे-दिल को हरपल कबतक सीना होगा?

#महादेव_की_कविताऐं’

Language: Hindi
237 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
समलैंगिकता-एक मनोविकार
समलैंगिकता-एक मनोविकार
मनोज कर्ण
दो खग उड़े गगन में , प्रेम करते होंगे क्या ?
दो खग उड़े गगन में , प्रेम करते होंगे क्या ?
The_dk_poetry
बिल्ली
बिल्ली
SHAMA PARVEEN
......?
......?
शेखर सिंह
मां का आंचल(Happy mothers day)👨‍👩‍👧‍👧
मां का आंचल(Happy mothers day)👨‍👩‍👧‍👧
Ms.Ankit Halke jha
हमारी चाहत तो चाँद पे जाने की थी!!
हमारी चाहत तो चाँद पे जाने की थी!!
SUNIL kumar
* शक्ति स्वरूपा *
* शक्ति स्वरूपा *
surenderpal vaidya
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
2967.*पूर्णिका*
2967.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कलियुग की संतानें
कलियुग की संतानें
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
समय के पहिए पर कुछ नए आयाम छोड़ते है,
समय के पहिए पर कुछ नए आयाम छोड़ते है,
manjula chauhan
कवि की लेखनी
कवि की लेखनी
Shyam Sundar Subramanian
जब से देखी है हमने उसकी वीरान सी आंखें.......
जब से देखी है हमने उसकी वीरान सी आंखें.......
कवि दीपक बवेजा
तुम्हें कब ग़ैर समझा है,
तुम्हें कब ग़ैर समझा है,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अफसाने
अफसाने
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
गुलामी की ट्रेनिंग
गुलामी की ट्रेनिंग
Shekhar Chandra Mitra
चुनाव आनेवाला है
चुनाव आनेवाला है
Sanjay ' शून्य'
अजीब मानसिक दौर है
अजीब मानसिक दौर है
पूर्वार्थ
सहयोग आधारित संकलन
सहयोग आधारित संकलन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*जन्म या बचपन में दाई मां या दाया,या माता पिता की छत्र छाया
*जन्म या बचपन में दाई मां या दाया,या माता पिता की छत्र छाया
Shashi kala vyas
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ক্ষেত্রীয়তা ,জাতিবাদ
ক্ষেত্রীয়তা ,জাতিবাদ
DrLakshman Jha Parimal
ज़िंदगी मौत पर
ज़िंदगी मौत पर
Dr fauzia Naseem shad
ऐ ज़िंदगी।
ऐ ज़िंदगी।
Taj Mohammad
मुझको शिकायत है
मुझको शिकायत है
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कभी मोहब्बत के लिए मरता नहीं था
कभी मोहब्बत के लिए मरता नहीं था
Rituraj shivem verma
एक पुरुष जब एक महिला को ही सब कुछ समझ लेता है या तो वह बेहद
एक पुरुष जब एक महिला को ही सब कुछ समझ लेता है या तो वह बेहद
Rj Anand Prajapati
*रायता फैलाना(हास्य व्यंग्य)*
*रायता फैलाना(हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
अब भी कहता हूँ
अब भी कहता हूँ
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...