मुक्तक
ग़मो का आज भी दरिया खुशी से पार करता है।
बसाया है जिसे दिल में वही बेज़ार करता है।
हसीं यादों के’ मंजर में न वो तुमको भुला पाया,
अकेला आज भी हर रोज इंतेज़ार करता है।
ग़मो का आज भी दरिया खुशी से पार करता है।
बसाया है जिसे दिल में वही बेज़ार करता है।
हसीं यादों के’ मंजर में न वो तुमको भुला पाया,
अकेला आज भी हर रोज इंतेज़ार करता है।