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24 Dec 2020 · 1 min read

मुक्तक

कुछ कदम तुम बढ़ो कुछ हम बढ़ते हैं
चलो इन फासलों को कुछ कम करते हैं

मोहब्बतों का नया सिलसिला शुरू करके
यह नफरतों की परम्परा अब ख़त्म करते है

Language: Hindi
1 Like · 221 Views
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