मुक्तक”अलग सबकी कहानी है”
अलग सबकी कहानी है,अलग पहचान है सबकी।
समय को जो समझता है, चढ़े मंजिल सफलता की।
नहीं गिरते कभी पथ में, सवारी जो किये रहते,
नहीं गिरकर सॅभलते जो, मजा चखते विफलता की।
*****************”******
प्रदत्त विषय शब्द- सारथी/रथ -चालक
विधा-मुक्तक
छंद-विधाता
बने हों सारथी जिसके कन्हैया रथ चलाने को।
नहीं वो हारता रण में लड़े रण में हराने को।
कभी विचलित हुआ जब वो कन्हैया ने उबारा है,
लडा है युद्ध सच्चा ही जमाने को जताने को।।
?अटल मुरादाबादी?