कुछ कडुवी कुछ मीठी बातें
★देखें दो मुक्तक-
(१)
कुछ कडुवी कुछ मीठी बातें।
जीवन में देतीं सौगातें।।
क्यों डरते हो इन बातों से,
दिन आते जब होतीं रातें।।
(२)
लिख सकूं दो शब्द मैं भी, शारदे किरपा करो।
मैं निपट मूरख, अनाड़ी,ज्ञान से झोली भरो।।
रच सकूं कुछ छंद अनुपम,ताल-गति कुछ दीजिए,
भावना में हो सहजता,सिंधु से मुझको तरो।
?अटल मुरादाबादी ?