मुक्तक
हैं खुशहाली सावन की घटाओं में
बड़ी राहत है इनकी ठंडी हवाओं में
होगा बड़ा एहसान आपका दोस्तों
हमें भी रखियेगा अपनी दुवाओं में
क्या खुशनुमा सावन की बहार है
हर तरफ फैली हरियाली बहार है
पेड़- पौधो को तो खूब लगाइए
यही तो प्रकृति का श्रृंगार है
बड़ा संघर्ष जीवन में है
उथल- पुथल मन में है
जाने कब महामारी जायेगा
संकट फैला वतन में है
रगो में दौड़ता खून होना चाहिए
कुछ कर गुजरने का जुनून होना चाहिए
बंगला, गाड़ी, बैंक बैलेंस हो तो क्या
मन को इतमिनान, सुकून होना चाहिए।
नूरफातिमा खातून” नूरी”
कुशीनगर