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12 Nov 2019 · 1 min read

मुक्तक

१.
लब्ज़ हर दूसरे ज़बान पे अपना बयान बदलती है
तुम नजरों को पढ़ना भला क्यूं नहीं सीखते…?
… सिद्धार्थ
२.
रब ने जाने कैसी दुनियां बनाई है
खुशी अपनी तो पीड पराई है
… सिद्धार्थ
३.
कांच के ख़्वाब थे टूटे और
आंखों को ही चुभ गए…
…सिद्धार्थ
४.
मुझे ढूंढने की जगह बदल कर तो देखो
ढूंढ़ना भूल जाओगे
गिरती है जहां तुम्हारी आत्मा
गिर जाता है वहां तुम्हारा परमात्मा
फिर क्या खोओगे और क्या पाओगे…?
… सिद्धार्थ
11.12.2019

Language: Hindi
3 Likes · 164 Views
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