नई मुक्तक
दिल पर जमी दर्द का एहसास हो गया.
मुझे मेरी इश्क का विश्वास हो गया.
जो बनाए हो दायरे मोहब्बत की तुमने.
उस पर उम्र तुम्हारी खिलाफ़ हो गया.
यह सजदे ये गेसु आंखों का काजल.
बताओ यह किस पर निसार हो गया.
अवधेश कुमार राय….
दिल पर जमी दर्द का एहसास हो गया.
मुझे मेरी इश्क का विश्वास हो गया.
जो बनाए हो दायरे मोहब्बत की तुमने.
उस पर उम्र तुम्हारी खिलाफ़ हो गया.
यह सजदे ये गेसु आंखों का काजल.
बताओ यह किस पर निसार हो गया.
अवधेश कुमार राय….