मुक्तक
किसी के हिस्से महल आया किसी के हिस्से आई झोपड़ी
मुझे फुटपाथ मिला जागीर समझ मार दी हमने चौकड़ी ।
…सिद्धार्थ
२.
गिद्धों ने पर फैलाए हैं
जन्नत को अब जहन्नुम समझो…
…सिद्धार्थ
किसी के हिस्से महल आया किसी के हिस्से आई झोपड़ी
मुझे फुटपाथ मिला जागीर समझ मार दी हमने चौकड़ी ।
…सिद्धार्थ
२.
गिद्धों ने पर फैलाए हैं
जन्नत को अब जहन्नुम समझो…
…सिद्धार्थ