मुक्तक
दिल को जुबां नही होता, आंखे नही होती,
बस धडकने- धडकनों को पहचान लेती हैं
मुहब्ब्त जिसको कहते हैं, अंधे – गूंगे दिल की
धडकनों में ही अक्सर वो पल कर जबान होती हैं
…सिद्धार्थ
दिल को जुबां नही होता, आंखे नही होती,
बस धडकने- धडकनों को पहचान लेती हैं
मुहब्ब्त जिसको कहते हैं, अंधे – गूंगे दिल की
धडकनों में ही अक्सर वो पल कर जबान होती हैं
…सिद्धार्थ