मुक्तक
खिलौनों से खेलने की थी हसरत, भूख ने दिल को बड़ा बेज़ार किया
रोटी के खातिर मैंने बच्पन की हसरतों को बाज़ार के नाम कर दिया !
…सिद्धार्थ
खिलौनों से खेलने की थी हसरत, भूख ने दिल को बड़ा बेज़ार किया
रोटी के खातिर मैंने बच्पन की हसरतों को बाज़ार के नाम कर दिया !
…सिद्धार्थ