मुक्तक
बड़े सलीके से दबा रखा था, ‘इश्क’ को दिल कि संदूकची में
वो बाज़ीगर निकला, दिल ले गया दर्द का दरिया दे गया !
…सिद्धार्थ
२.
ये इश्क मेरा शराब सा हो गया है
दिल के लिए खराब सा हो गया है,
पिएं तो अपनी जान पे ही बन आए
न पिएं तो जीने किधर को हम जाएं !
…सिद्धार्थ
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