प्रेम और पुष्प, होता है सो होता है, जिस तरह पुष्प को जहां भी
थपकियाँ दे मुझे जागती वह रही ।
परो को खोल उड़ने को कहा था तुमसे
जहां पर जन्म पाया है वो मां के गोद जैसा है।
हे ! भाग्य विधाता ,जग के रखवारे ।
वो ख़्वाहिशें जो सदियों तक, ज़हन में पलती हैं, अब शब्द बनकर, बस पन्नों पर बिखरा करती हैं।
नवरात्र के सातवें दिन माँ कालरात्रि,
दवा दारू में उनने, जमकर भ्रष्टाचार किया
हंसी मुस्कान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Sukun usme kaha jisme teri jism ko paya hai
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
🌷🧑⚖️हिंदी इन माय इंट्रो🧑⚖️⚘️
कुछ भी होगा, ये प्यार नहीं है
विचार पसंद आए _ पढ़ लिया कीजिए ।
किसी के साथ दोस्ती करना और दोस्ती को निभाना, किसी से मुस्कुर
बम से दुश्मन मार गिराए( बाल कविता )
*शिकायतें तो बहुत सी है इस जिंदगी से ,परंतु चुप चाप मौन रहकर