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3 Jun 2017 · 1 min read

मुक्तक-विन्यास में एक तेवरी

मैं तो हूँ पावन बोल रहा
अब पापी का मन बोल रहा |
नित नारी को सम्मान मिले
हँसकर दुर्योधन बोल रहा |

सूखा को सावन बोल रहा
अंधों का चिन्तन बोल रहा |
अफ़सोस यही है सत्ता की
भाषा में जन-जन बोल रहा |

पायल-सँग कंगन बोल रहा
रति का सम्बोधन बोल रहा |
बारूदी गंधें मत बांटो
सांसों का चन्दन बोल रहा |
+रमेशराज

Language: Hindi
696 Views
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