Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Oct 2016 · 1 min read

मुक्तक—विजय पर्व—डी के निवातिया

—-विजय पर्व —-

पूजा, भक्ति, ज्ञान, ध्यान में था वो देवो का ख़ास ।
सुत, बंधू, सगे, सेवक सहित किया कुल का नाश ।
अधर्म और अहंकार सदैव अहितकारी होते है ।
इन द्वेषो ने किया रावण सहित लंका का विनाश ।।

मन से मैले हुए सभी, तन वस्त्र सब चमका दिये ।
झूठी परम्परा निभा, रावण के पुतले जला लिये ।
विषय वासना लोभ के अधीन हुआ जन मानष ।
उर विकार मिटे नही उत्सव विजय पर्व मना लिये ।।




डी के निवातियाँ —-+

Language: Hindi
2 Comments · 506 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Today i am thinker
Today i am thinker
Ms.Ankit Halke jha
■ आज का आखिरी शेर।
■ आज का आखिरी शेर।
*Author प्रणय प्रभात*
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
ख्वाब को ख़ाक होने में वक्त नही लगता...!
ख्वाब को ख़ाक होने में वक्त नही लगता...!
Aarti sirsat
🌹*लंगर प्रसाद*🌹
🌹*लंगर प्रसाद*🌹
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
2271.
2271.
Dr.Khedu Bharti
मां तुम बहुत याद आती हो
मां तुम बहुत याद आती हो
Mukesh Kumar Sonkar
बचपन खो गया....
बचपन खो गया....
Ashish shukla
जीवन के मोड़
जीवन के मोड़
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-447💐
💐प्रेम कौतुक-447💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Tumhari sasti sadak ki mohtaz nhi mai,
Tumhari sasti sadak ki mohtaz nhi mai,
Sakshi Tripathi
महापुरुषों की सीख
महापुरुषों की सीख
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ਹਕੀਕਤ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ
ਹਕੀਕਤ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ
Surinder blackpen
जिसे सुनके सभी झूमें लबों से गुनगुनाएँ भी
जिसे सुनके सभी झूमें लबों से गुनगुनाएँ भी
आर.एस. 'प्रीतम'
**** मानव जन धरती पर खेल खिलौना ****
**** मानव जन धरती पर खेल खिलौना ****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पहले प्यार में
पहले प्यार में
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
ख़्वाब की होती ये
ख़्वाब की होती ये
Dr fauzia Naseem shad
शायरी
शायरी
goutam shaw
बाल शिक्षा कविता पाठ / POET : वीरचन्द्र दास बहलोलपुरी
बाल शिक्षा कविता पाठ / POET : वीरचन्द्र दास बहलोलपुरी
Dr MusafiR BaithA
कैनवास
कैनवास
Mamta Rani
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
संतोष धन
संतोष धन
Sanjay ' शून्य'
नर जीवन
नर जीवन
नवीन जोशी 'नवल'
दोहा त्रयी . . . .
दोहा त्रयी . . . .
sushil sarna
एक महिला तब ज्यादा रोती है जब उसके परिवार में कोई बाधा या फि
एक महिला तब ज्यादा रोती है जब उसके परिवार में कोई बाधा या फि
Rj Anand Prajapati
हो रही है भोर अनुपम देखिए।
हो रही है भोर अनुपम देखिए।
surenderpal vaidya
बांते
बांते
Punam Pande
Y
Y
Rituraj shivem verma
"विषधर"
Dr. Kishan tandon kranti
फितरत
फितरत
Kanchan Khanna
Loading...