मुक्तक — भरोसा तो ———- डूबते को ————- !
भरोसा तो कइयों ने दिया,तुम्हे डूबने न देंगे हम।
मझधार में फसी नाव, गोते खा रहे थे हम।
यह तो शुक्र है ऊपर वाले,लगा दिया उसने पार।
वरना जमाने में तो कहां ,किसी को आया हम पे रहम।।
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डूबते को तिनके का सहारा,है इस पर विश्वास हमारा।
हमारी नज़रों में लगता हमको ,हर जीव प्यारा प्यारा।
बात मेरी सब माने,जीवन का मर्म पहचाने।
हिल मिल कर करते रहे, प्रेममय हम सब गुजारा।।
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राजेश व्यास अनुनय