मीडिया से एक अपील
ऐ साथी अखबार के!
कहना जाकर सरकार से
दया नहीं, अधिकार चाहिए
भीख नहीं रोजगार चाहिए।
(१)
जाति-धर्म के झगड़ों में
भाषा-प्रांत के रगड़ों में
कब तक उलझे रहेंगे हम
झूठ-मुठ के लफड़ों में?
जरा जोर से ललकार के
कहना जाकर सरकार से
दया नहीं, अधिकार चाहिए
भीख नहीं, रोजगार चाहिए।
(२)
ना मंदिर-ना मस्जिद
ना गिरजा-ना गुरूद्वारा
चाहिए हमको तीन सामान
रोटी, कपड़ा और मकान।
फटकार के-धिक्कार के
कहना जाकर सरकार से
दया नहीं, अधिकार चाहिए
भीख नहीं, रोजगार चाहिए।
(३)
मचा ये कैसा हाहाकार
कहीं हत्या-कहीं बलात्कार
बढा जा रहा- दिन पर दिन
देश में कितना- भ्रष्टाचार।
कब मुक्ति मिलेगी अत्याचार से
पूछना जाकर सरकार से
दया नहीं, अधिकार चाहिए
भीख नहीं, रोजगार चाहिए।
Lalkar
By
Shekhar Chandra Mitra