Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Oct 2018 · 1 min read

मीटू अभियान पर मेरी ताजा रचना…..

देखो तो कुछ विष कन्याएं ज्ञान बांटने निकली हैं।
मीटू को हथियार बनाकर गला काटने निकली हैं।।

जुल्फों की लट से, नयनों से, यौवन के अंगारों से।
तरह-तरह के स्वप्न दिखाए, प्रीत भरे उच्चारों से।।

किए बहुत से समझौते, अब आसमान को चूम रहीं।
लिए जानकी वेष आजकल सूपर्णखाएं घूम रहीं।।

दौलत-शौहरत पाकर देखो खुद पर कैसे ऐंठी हैं।
कई उर्वशी-रम्भा भी अब सावित्री बन बैठी हैं।।

कलयुग से पहले द्वापर, त्रेता और सतयुग चला गया।
है इतिहास गवाह, पुरुष ही कदम-कदम पर छला गया।।

बिन रोटी-सब्ज़ी बोलो क्या थाली सज सकती है।
कोई बताए एक हाथ से क्या ताली बज सकती है।।

उंगली उठा रही हो ऐसे, जैसे खुद निर्दाेषी हो।
मीटू-मीटू कहने वाली, तुम भी उतनी दोषी हो।।
-विपिन कुमार शर्मा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मो. 9719046900
(कृपया नाम सहित शेयर करें)
कविता का उदेश्य किसी भी संस्कारी महिलाओं के दिल को ठेस पहुंचाना नही है। वे बहन-बेटियां, माताएं मेरे लिए सदैव देवितुल्य हैं, उन सभी देवियों के चरणों मे प्रणाम सहित।

Language: Hindi
327 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आतंकवाद सारी हदें पार कर गया है
आतंकवाद सारी हदें पार कर गया है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चुका न पाएगा कभी,
चुका न पाएगा कभी,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
किसी अंधेरी कोठरी में बैठा वो एक ब्रम्हराक्षस जो जानता है सब
किसी अंधेरी कोठरी में बैठा वो एक ब्रम्हराक्षस जो जानता है सब
Utkarsh Dubey “Kokil”
गुलदस्ता नहीं
गुलदस्ता नहीं
Mahendra Narayan
ढलती हुई दीवार ।
ढलती हुई दीवार ।
Manisha Manjari
अंत समय
अंत समय
Vandna thakur
*करिश्मा एक कुदरत का है, जो बरसात होती है (मुक्तक)*
*करिश्मा एक कुदरत का है, जो बरसात होती है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
हनुमानजी
हनुमानजी
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
परतंत्रता की नारी
परतंत्रता की नारी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कभी सब तुम्हें प्यार जतायेंगे हम नहीं
कभी सब तुम्हें प्यार जतायेंगे हम नहीं
gurudeenverma198
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
कवि रमेशराज
"कब तक छुपाहूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
जिस रास्ते के आगे आशा की कोई किरण नहीं जाती थी
जिस रास्ते के आगे आशा की कोई किरण नहीं जाती थी
कवि दीपक बवेजा
माँ की चाह
माँ की चाह
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
शिव - दीपक नीलपदम्
शिव - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
रंगों के पावन पर्व होली की आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभ
रंगों के पावन पर्व होली की आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभ
आर.एस. 'प्रीतम'
सियासत
सियासत
Anoop Kumar Mayank
*गैरों सी! रह गई है यादें*
*गैरों सी! रह गई है यादें*
Harminder Kaur
मैं  गुल  बना  गुलशन  बना  गुलफाम   बना
मैं गुल बना गुलशन बना गुलफाम बना
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
कभी नहीं है हारा मन (गीतिका)
कभी नहीं है हारा मन (गीतिका)
surenderpal vaidya
नये पुराने लोगों के समिश्रण से ही एक नयी दुनियाँ की सृष्टि ह
नये पुराने लोगों के समिश्रण से ही एक नयी दुनियाँ की सृष्टि ह
DrLakshman Jha Parimal
अलग अलग से बोल
अलग अलग से बोल
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गूढ़ बात~
गूढ़ बात~
दिनेश एल० "जैहिंद"
हम हमारे हिस्से का कम लेकर आए
हम हमारे हिस्से का कम लेकर आए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
हर जगह तुझको मैंने पाया है
हर जगह तुझको मैंने पाया है
Dr fauzia Naseem shad
2445.पूर्णिका
2445.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"नृत्य आत्मा की भाषा है। आत्मा और परमात्मा के बीच अन्तरसंवाद
*Author प्रणय प्रभात*
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
Sukoon
*कभी तो खुली किताब सी हो जिंदगी*
*कभी तो खुली किताब सी हो जिंदगी*
Shashi kala vyas
Loading...