मिल गये हो तो नज़र हमसे चुराया न करो
मिल गये हो तो नज़र हमसे चुराया न करो
पास बैठो तो ज़रा कोई बहाना न करो
आँधियों में तो सफ़र का तो इरादा न करो
यूँ अकेले ही कभी राह में निकला न करो
हम कोई ग़ैर नहीं हमसे छिपाना क्या है
राज़ हम से भी कभी कोई छिपाया न करो
है भरोसा ही तो आधार सभी रिश्तों का
है यकीं जिनका भी तुम पर उसे तोड़ा न करो
ज़िन्दगी सिर्फ़ मिला करती है इक बार सुनो
कीमती वक़्त को बेकार में ज़ाया न करो
वज़्न जिस बात में हो बात वही करनी है
बात हल्की से कभी ख़ुद को तो छोटा न करो
लोग रखते हैं हसद और ज़माना जलता
कोशिशें अपनी मगर सबको दिखाया न करो
कीमती प्यार से कोई भी नहीं चीज़ यहाँ
प्यार करना है करो इतना भी सोचा न करो
टूट सकता है ये रिश्ता न भरोसा टूटे
सिर्फ़ ‘आनन्द’ ये कहता है कि धोखा न करो
– डॉ आनन्द किशोर